उलझन
धागे ज़िन्दगी के
धागे ज़िन्दगी के
कुछ ऐसे बिखर गए
गाँठ पड़े किसी में
तोह कुछ टूट भी गए
पर कुछ ऐसे उलझ गए
के घायल मन्न यह सोचे
और सोचकर भी न मिले
जवाब उस सवाल के
कि ज़िन्दगी हम पर बोज है
या हम ज़िन्दगी पर हैं......
...प्रिया
...प्रिया
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