Saturday, May 23, 2020

उलझन

                    

उलझन 

धागे ज़िन्दगी के 
कुछ ऐसे बिखर गए 
गाँठ पड़े किसी में 
तोह  कुछ टूट भी गए 
पर कुछ ऐसे उलझ गए 
के घायल  मन्न  यह सोचे 
और सोचकर भी न मिले 
जवाब उस सवाल के 
कि ज़िन्दगी हम पर बोज है 
या हम ज़िन्दगी पर हैं...... 

                      ...प्रिया 
                

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